बवंडर
Sep 25, 2025प्रेषक: अभिनव @ 9/25/2025 0 प्रतिक्रियाएं
एक गीत - हाल कैसा है हमारा
Sep 24, 2025रेत मुट्ठी से फिसलती जा रही है,
लौटने को है लहर छूकर किनारा।।
आसमाँ के चाँद तारे पूछते हैं,
क्या बताएं हाल कैसा है हमारा।।
कहने को हम साथ हैं, लेकिन कहाँ हैं,
बढ़ रही हर बात पर अब दूरियाँ हैं।
दुनिया वालों को दिखाकर हँस रहे हैं,
मन के भीतर ये प्रदर्शन धँस रहे हैं।
दो किनारों पर महोत्सव सज रहे हैं,
मौन है गहराई में नदिया की धारा।।
मन की पूछो बात तो हम अनमने हैं,
स्वप्न सब बिखरे अधूरे अधबने हैं।
दर्द ने ही दोस्ती कर ली दवा से,
छत पे जलता दीप कहता है हवा से।
हो सके तो तुम ही मेरा साथ दे दो,
डोर नाज़ुक है नहीं दिखता सहारा।।
मुस्कुराना लग रहा अपवाद तुमको,
दोष मेरे हैं हज़ारों याद तुमको।
क्या कभी उल्लास के क्षण भी यहाँ थे,
थे यदि तो किस जगह, आखिर कहाँ थे।
जाने क्यों धुंधला सा होता जा रहा है,
झिलमिलाता दिख रहा था जो सितारा।।
तन को उलझाया है झूठे अनुकरण में,
और मन अटका तुला के संतुलन में।
क्या प्रयोजन है भला इस प्रज्ज्वलन का,
क्या यही उद्देश्य था अपने मिलन का।
दम्भ की दीवार ऊँची उठ रही है,
प्रेम की गंगा है या सागर है खारा।।
प्रेषक: अभिनव @ 9/24/2025 0 प्रतिक्रियाएं
रामधारी सिंह "दिनकर"
Sep 23, 2025
प्रेषक: अभिनव @ 9/23/2025 0 प्रतिक्रियाएं
नवरात्रों की शुभकामनाएं!
Sep 22, 2025प्रेषक: अभिनव @ 9/22/2025 0 प्रतिक्रियाएं
नीचे बादल, ऊपर हम हैं
Sep 12, 2025
प्रेषक: अभिनव @ 9/12/2025 0 प्रतिक्रियाएं
भारत की धड़कन
Sep 9, 2025भारत की धड़कन
जहाँ मातु यशोदा की गोदी में झूल कन्हैया सोता है,
जहाँ रामचरितमानस के स्वर गलियों में गूंजा करते हैं,
तुलसी-कबीर-रसखान-सूर घर घर में पूजा करते हैं|
जहाँ चैती, कजरी, बिरहा, आल्हा, सावन गाया जाता है,
अवधी, बुंदेली, भोजपुरी, ब्रज रंग सजाया जाता है,
जहाँ एक तरफ हैं गीता प्रेस अक्षर पढ़ना सिखलाते हैं,
दूजे हैं बांके पहलवान कुश्ती लड़कर दिखलाते हैं|
साड़ी, चूड़ी, खुशरंग इत्र संग सुरमा और कटारी हैं,
पीतल, नक्काशी, जरदोज़ी, ताले, कालीन हमारी हैं,
जहाँ ताजमहल की श्वेत धरोहर प्रेम रंग बिखराती है,
नित पान की लाली होठों पर मुस्कान सुरीली लाती है|
बम भोले, हर हर महादेव की काशी जहाँ सुशोभित है,
वह धरती जिसकी जगमग से जगपालक तलक अचंभित है,
मेरठ है, मंगल पांडे हैं, झाँसी है, लक्ष्मी रानी हैं,
आज़ाद, पथिक, बिस्मिल, टंडन, अशफाकुल्ला, मोहानी हैं|
बिस्मिल्ला की शहनाई जहाँ सुबह को पुकारा करती है,
हर शाम ए अवध तहज़ीबों की ज़ुल्फ़ों को संवारा करती है,
तुमको लगता है, बस धोती, गमछा और अचकन रहती है,
मुझको लगता है यू पी में भारत की धड़कन रहती है।
प्रेषक: अभिनव @ 9/09/2025 0 प्रतिक्रियाएं
सिन्दूरी सी सुबह
May 20, 2025
हनुमान जी की पूँछ जो जलाई रावण ने,
लंका नगरी हेतु महाविपात हो गई।
आधी रात में ही सिन्दूरी सी सुबह हुई,
सुबह जो हुई दुष्टों की रात हो गई।
तुर्क, चीन, पाक — सब पुतले दहन हुए,
धूल धसरित सारी चौधरात हो गई।
"जय हिंद" की ध्वनि से गूंजने लगा गगन,
भारती की आरती की शुरुआत हो गई।
जय हिन्द की सेना! जय हिन्द!
प्रेषक: अभिनव @ 5/20/2025 0 प्रतिक्रियाएं